झूलत राधामोहन, कालिंदी के कूल।
सघन लता सुहावनी, चहुंदिश फूलें फूल ॥१॥
सखी जुरी चहुँदिश तें, कमल नयन की ओर।
बोलत वचन अमृतमय, नंददास चित्तचोर॥२॥
झूलत राधामोहन, कालिंदी के कूल।
सघन लता सुहावनी, चहुंदिश फूलें फूल ॥१॥
सखी जुरी चहुँदिश तें, कमल नयन की ओर।
बोलत वचन अमृतमय, नंददास चित्तचोर॥२॥