♦ रचनाकार: अज्ञात
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झूलें नंदलाल झुलाओ सखी पालना
काहे के तोरे बनो पालना,
काहे के लागे फंुदना। झूलें नन्दलाल...
अगर चंदन के बने हैं पालना,
रेशम की डोरी रुपे के लागे फंुदना। झूलें नन्दलाल...
को झूलें को जो झुलावे,
को जो बलैया लेत मुख चूमना। झूलें नन्दलाल...
कान्हा झूले, सखिया झुलावें,
यशोदा बलैया नंद मुख चूमना। झूलें नन्दलाल...