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टमरक टूं / कन्हैया लाल सेठिया

टमरक टूं, टमरक टूं।

एक कमेड़ी
बैठ खेजड़ी
मिसरी घोळी सुख सुर स्यूं
टमरक टूं टमरक टूं।

सूनी रोही,
जागी सोई
पाछी बोली यूं री यूं
टमरक टूं, टमरक टूं।

बोल अजाण्यो
मैं के जाण्यो ?
हुई गिदगिदी म्हारै क्यूं,
टमरक टूं, टमरक टूं।