प्रसव की पीड़ा
दिशा में
हहराता-सा तन,
वेदना झकझ्होरती
ज्यों गरजता है घन !
टीस
नभ को चीर
कसकी
लपट-सी उजली जली,
फिर बुझ गई
बिजली कहीं चमकी !
प्रसव की पीड़ा
दिशा में
हहराता-सा तन,
वेदना झकझ्होरती
ज्यों गरजता है घन !
टीस
नभ को चीर
कसकी
लपट-सी उजली जली,
फिर बुझ गई
बिजली कहीं चमकी !