बढ़इयों से कहा, मिस्त्रियों से कहा, बिजलीवाले से कहा
राशन की दूकान के लड़के से कहा, 'इस दरवाज़े को ठीक कर दो,
इसकी चूलें उखड़ी हुई हैं, सारी रात
यह हवा में भड़भड़ाता रहता है, मुझे सोने नहीं देता।
घर का मालिक बाहर है। और घर खंडहर
हो रहा है। पिछले बारह साल से
यहाँ कोई नहीं रहा। इसे ठीक कर दो
सारा ख़र्चा मैं उठाऊँगा।'
उन्होंने कहा, 'इस पर हमारा कोई हक़ नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'हम इसमें कोई दख़ल नहीं दे सकते।'
'मालिक बाहर है। यह एक अजनबी का मकान है।' -- मुझे
इसी जवाब की उम्मीद थी, यही मैं उनसे
सुनना चाहता था, यही जानना चाहता था कि इस पर उनका अधिकार नहीं है।
दरवाज़े को ऐसे ही रहने दो, उसे इसी तरह भड़भड़
करने दो बागीचे के ऊपर, घोंघों और छिपकलियों से भरे सूखे तालाब के ऊपर
बिच्छुओं और खाली चर्खियों के ऊपर,
टूटे हुए काँच के ऊपर। वह आवाज़ मुझे एक
जायज़ तर्क देती है, और मुझे सुला देती है।
अंग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल