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टूटी हिम की टेक / केदारनाथ अग्रवाल
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टूटी हिम की टेक
हिंडोले वन के डोले,
जागे जोगी शैल
मनोभव लोचन खोले ।
लोल हुई कल्लोल कामिनी कूल सुहाए
गूँजे छवि के छंद क्षमा के ऋतुपति आए ।