Last modified on 22 जून 2017, at 18:33

टेमन्हा रोॅ बाप / नवीन ठाकुर ‘संधि’

फूस-फास परै छै झैरिया,
डरोॅ सें भागलै घोरॅ बकरिया।

की खैतोॅ घास नै भूसोॅ,
भूखेॅ मरतोॅ आपन्हैॅ सीखोॅ।
घरनी बोलली सुनै छोॅ टेमन्हा बाप,
कॉहीं सें लानी दोॅ पीपरोॅ पात।
की करबै अखनी साँझो बेरिया?

डलिया में देलियै खायलेॅ मकैय रोॅ चोकरोॅ,
बकरी केॅ भगाय भीड़ी गेलै खायलेॅ बोकरोॅ।
आ... लुखड़ी की लेबेॅ केकरोॅ,
आबेॅ की खैबेॅ माथा रोॅ खेखरोॅ?
छी-छी, राम-राम "संधि" राखोॅ खबरिया।