लम्बी चुटिया, बूचे कान,
टेसू बड़े दबंग जवान !
तीन टाँग से खड़े अकड़कर,
जैसे आए हों लड़-भिड़कर,
दिखा रहे हैं तीर-कमान,
टेसू बड़े दबंग जवान !
वीर बभ्रुवाहन कहलाते,
घर-घर जाकर अलख जगाते,
इनसे बढ़कर यही महान्,
टेसू बड़े दबंग जवान !
मूँछों पर हैं ताव निकाले,
इनका गुस्सा कौन संभाले?
रखते अजब निराली शान
टेसू बड़े दबंग जवान !
दिन में नहीं, रात में चलते,
किन्तु कमर पर दीपक जलते,
कभी न होती इन्हें थकान !
टेसू बड़े दबंग जवान !