Last modified on 6 दिसम्बर 2010, at 15:01

ट्रिन-ट्रिन / शिवराज भारतीय


ट्रिन-ट्रिन-ट्रिन की मीठी धुन से,
रोज सबेरे मुझे उठाती।
तुझे देखकर ही मम्मी जी,
मुझको शाला है भिजवाती।

दूध ना लेती चाय ना पीती,
ना कुछ खाती-पीती हो।
टिक-टिक-टिक की कदम ताल से,
सरपट भागी जाती हो।
थकने का कभी नाम न लेती,
तुझे आराम हराम है।
चलते रहना ही जीवन है,
तेरा ये पैगाम है।