ठंडी हवा झूमते पत्ते
सदियों पुरानी मीठी महक
उसकी नज़रें झुकीं
वह सोचती अपने मर्द के बारे में ।
बैठी कमरे में खिड़की के पास
हाथ बँधे प्रार्थना कर रही
थकी गर्दन झुकी
वह सोचती अपने मर्द के बारे में ।
शहर के पक्के मकान में
गाँव की कमज़ोर दीवार के पास
दंगों के बाद की एक दोपहर
वह सोचती अपने मर्द के बारे में ।