कितना
जानो
अपने आपको
जितना
लोग जानते
फिर भी नहीं
बोलते
वहीं राह चलते
कविता
जानती भी
बोलती भी है
शायद कोयल
कविता ही
गर्म दोपहर में
ठण्डी कविता।
कितना
जानो
अपने आपको
जितना
लोग जानते
फिर भी नहीं
बोलते
वहीं राह चलते
कविता
जानती भी
बोलती भी है
शायद कोयल
कविता ही
गर्म दोपहर में
ठण्डी कविता।