श्रेष्ठता का भ्रम पालने वाले
बना लें चाहे जितनी जमातें—
इतना तो तय है
मनुष्य की अब दो ही जमात हैं
ज़िन्दा रहने के लिए
किस तरफ़ जाओगे
फ़ैसला तुम्हें करना है
क्योंकि
हिंसक भीड़ का
अन्धा शिकार होता है
ठहरा हुआ आदमी!
श्रेष्ठता का भ्रम पालने वाले
बना लें चाहे जितनी जमातें—
इतना तो तय है
मनुष्य की अब दो ही जमात हैं
ज़िन्दा रहने के लिए
किस तरफ़ जाओगे
फ़ैसला तुम्हें करना है
क्योंकि
हिंसक भीड़ का
अन्धा शिकार होता है
ठहरा हुआ आदमी!