ठोकरें
हर नदी के
गर्भ से
कैसा तराशा
रूप लेकर
हम चले थे,
आपकी ठोकर
हथोड़ों, दूमटों ने
तोड़कर या फोड़कर
आड़ा हमें
तिरछा
किया है।
ठोकरें
हर नदी के
गर्भ से
कैसा तराशा
रूप लेकर
हम चले थे,
आपकी ठोकर
हथोड़ों, दूमटों ने
तोड़कर या फोड़कर
आड़ा हमें
तिरछा
किया है।