पहली ठोकर
उसके क्रोध का कारण बनी।
दूसरी ने
उसमें खीझ पैदा की।
तीसरी ठोकर ने
किया उसे सचेत।
चौथी ने भरा आत्मविश्वास
उसके भीतर।
अब नहीं करता वह परवाह
ठोकरों की!
पहली ठोकर
उसके क्रोध का कारण बनी।
दूसरी ने
उसमें खीझ पैदा की।
तीसरी ठोकर ने
किया उसे सचेत।
चौथी ने भरा आत्मविश्वास
उसके भीतर।
अब नहीं करता वह परवाह
ठोकरों की!