दही-बड़े
हम दही-बड़े!
दौड़े आओ
मत शरमाओ,
खाओ भाई खड़े-खड़े!
स्वाद मिलेगा कहीं न ऐसा,
चखकर देखो, फेंको पैसा।
टाफी-च्युंगम
आइसक्रीम के
पल में झंडे उखड़े!
अजब-अनोखा रंग जमाया
डंका हमने खूब बजाया।
ठेले पर हैं
खड़े हुए
लाला, बाबू बड़े-बड़े!
अपनी मस्ती, अपनी हस्ती
खा करके आती है चुस्ती।
तबीयत कर दें
खूब झकाझक-
अगर कोई हमसे अकड़े!
पेड़ा, बरफी चित्त पड़े हैं,
रसगुल्ले के पर उखड़े हैं।
भला किसी की
यह मजाल-
आकर हमसे झगड़े!