डरे हो बचाते कहाँ जाइएगा?
नए प्रष्न आते कहाँ जाइएगा?
तुम्हारे क़दम पर सभी की निगाहें,
निगाहें उठाते कहाँ जाइएगा?
अभी सागरों का क़हर सामने है,
सुनामी सधाते कहाँ जाइएगा?
गिनें वे गुनह में सभी इन सवालों,
गुनहगार पाते कहाँ जाइएगा?
उठाना यहाँ प्रष्न दुनिया बनाने,
नहीं यदि बनाते कहाँ जाइएगा?