Last modified on 12 फ़रवरी 2016, at 13:12

डर / निदा नवाज़

आता है काला नक़ाब पहने
हाथ में चाक़ू या बंदूक लिए
शाम ढलते ही
और ले जाता है मुझे
जंगल की तरफ़
छोड़ देता है मुझे
किसी भूखे शेर के सामने
या मगरमच्छों भरे
तालाब के बीचों-बीच
या ले जाता है मुझे
किसी पहाड़ की चोटी पर
और गिरा देता है
अजगरों भरी गहरी खाई में
नहीं होता है वह कोई और
बल्कि होता है वह
मेरे साथ ही जन्म लेने वाला
मेरा डर.