दहशत उछालता
खुली खिड़की का डर
भीतर तक झाँकता है
बन्द करो न खिड़की
कौन तुम्हें पालता है
पर बन्द खिड़की का डर
उससे भी बढ़कर
जान लेवा
जान लेना।
दहशत उछालता
खुली खिड़की का डर
भीतर तक झाँकता है
बन्द करो न खिड़की
कौन तुम्हें पालता है
पर बन्द खिड़की का डर
उससे भी बढ़कर
जान लेवा
जान लेना।