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डर / सुशान्त सुप्रिय

तुम डरते हो
तेज़ाबी-बारिश से
ओज़ोन-छिद्र से
मैं डरता हूँ
विश्वासघात के सर्प-दंशों से
बदनीयती के रिश्तों से
तुम डरते हो
रासायनिक हथियारों से
परमाणु-बमों से
मैं डरता हूँ
मूल्यों के खो जाने से
आत्मा पर लगे कलंक से
तुम डरते हो
एड्स से
कैंसर से
मृत्यु से
मैं डरता हूँ
उन पलों से
जब जीवित होते हुए भी
मेरे भीतर कहीं कुछ
मर जाता है