ढूँढ-ढूँढ कर
लाना पड़ता है
खुद को
बार-बार
कभी यहाँ से
कभी वहाँ से
नजर रखनी पड़ती है
खुद पर
वरना डर बना रहता है
खुद के खो जाने का
इधर-उधर
यहाँ-वहाँ
और न जाने
कहाँ-कहाँ।
ढूँढ-ढूँढ कर
लाना पड़ता है
खुद को
बार-बार
कभी यहाँ से
कभी वहाँ से
नजर रखनी पड़ती है
खुद पर
वरना डर बना रहता है
खुद के खो जाने का
इधर-उधर
यहाँ-वहाँ
और न जाने
कहाँ-कहाँ।