मुझे डर था
कहीं मैं टूट न जाऊँ
तुम्हारे झूठे वादों की तरह
मगर
मुझे क्या ख़बर थी
कि तुम टूटने लगी हो
मेरे सूखे हुए सपनों कि तरह
मुझे डर था
कहीं मैं टूट न जाऊँ
तुम्हारे झूठे वादों की तरह
मगर
मुझे क्या ख़बर थी
कि तुम टूटने लगी हो
मेरे सूखे हुए सपनों कि तरह