♦ रचनाकार: शिव कुमार बटालवी
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डाची वालेआ मोड़ मुहार वे
सोहणी वालेआ लै चल नाल वे
डाची वालेआ मोड़ मुहार वे...
तेरी डाची दे गल विच्च टल्लीआं
वे मैं पीर मनावन चलीआं
तेरी डाची दी सोहनी चाल वे
ओये डाची वालेया मोड़ मुहार वे...
तेरी डाची थलां नू चीरनी
वे मैं पीरां नू सुख्खनी आ खीरनी
आके तक्क जा साडा हाल वे
ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे...
तेरी डाची दे चुम्नीआं पैर वे
तेरे सिर दी मंगनीआं खैर वे
साडी जिंदड़ी नू एन्ज न गाल वे
ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे...
तेरी डाची तों सदके मैं जानीआं
पंजा पीरां नू पई मैं मनानिआँ.
सुख्खां सुखनिआँ तेरियां लाल वे
ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे...
डाची वालेआ मोड़ मुहार वे
सोहणी वालेआ लै चल नाल वे...