उन्हें नष्ट होना पड़ता है
परिवेश-समय-भूगोल से जो
संतुलन नहीं बना पाते
उनके जीवाश्म रखे जाते हैं
अजायबघरों में
उन पर शोध किया जाता है
वे लुप्त हो गए
धरती के तापमान के साथ
तालमेल नहीं रख पाने के कारण
वे अतीत के विस्मृत पृष्ठ बन गए
वे लुप्त हो जाएँगे
वे नष्ट हो जाएँगे
जो सत्य को लेकर
आदर्श को लेकर
जीवन मूल्यों को लेकर
पूरी मानवीय गरिमा के साथ
जीना चाहेंगे
एक दिन इस अमानवीय धरती पर
डायनासोर की तरह
उनके जीवाश्म ही बचे रहेंगे