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डाळा न्हाख्यां पछै / सतीश छींपा
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सोच री बाथां में
देखूं म्हैं
म्हारै देवता नैं
उणरै भोळापै नैं
अर आंख्यां मांय
बणती एक कहाणी नैं....।