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डेरा जूंण / अर्जुनदेव चारण

डेरा निरखण रै मिस
काकी, भूवा, मासी अर सहेलियां रै झूलरै
म्हैं आई
पार कर आंगणौ

डेरां में
आंगणौ नीं होवै मां
नीं होवै अपणायत
वो तौ
हरबार
उठण सारूं ई लागै
पछै डेरां निरखण रै मिस
म्हनै क्यूं काढै
आपरै आंगणै सूं बारै

आ डेरा जूंण
म्हारै करमां
थूं क्यूं लिखै