एक नदी मेरे बाहर है
और दूसरी मेरी भीतर।
दोनों नदियों के बीच
डेल्टा बन चुका यह शरीर
कुछ नहीं करता
सिवाय अपने होने भर के।
एक नदी मेरे बाहर है
और दूसरी मेरी भीतर।
दोनों नदियों के बीच
डेल्टा बन चुका यह शरीर
कुछ नहीं करता
सिवाय अपने होने भर के।