डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ ।
संग शिभित वृषभान नंदिनी ललिता विशाखा साथ ॥१॥
वाजत ताल मृदंग झांझ डफ रुंज मुरज बहु भांत ।
अति अनुराग भरे मिल गावत अति आनंद किलकात ॥२॥
चोवा चण्दन बूकावंदन उडत गुलाल अबीर ।
परमनानंद दास बलिहारी राजत हे बलवीर ॥३॥
डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ ।
संग शिभित वृषभान नंदिनी ललिता विशाखा साथ ॥१॥
वाजत ताल मृदंग झांझ डफ रुंज मुरज बहु भांत ।
अति अनुराग भरे मिल गावत अति आनंद किलकात ॥२॥
चोवा चण्दन बूकावंदन उडत गुलाल अबीर ।
परमनानंद दास बलिहारी राजत हे बलवीर ॥३॥