Last modified on 5 सितम्बर 2018, at 17:05

डोहा गीत / 2 / भील

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चार कुटड़ी ने चार दिवल्या, झग मलोजी।
दिवल्यो लगाड़ुं ती एकली वो नणद बाई।
दलनों दलों ती एकली वो नणद बाई।
पाणिलों भरों ती एकली वो नणद बाई।

- भाभी, ननद से कहती है कि कोठरी के चार खूँट में चार दीपक हैं। घर में दीया
लगाऊँ, पानी भरने जाऊँ अकेली रहती हँू, मेरे साथ में कोई नहीं है।