कोरोना तेॅ राक्षस ही छै,
जे विनाश रो वाहक ऊ कि
प्रकृति के उद्धारक बनतै?
उम्मीदोॅ के साथ नाय छोड़ोॅ,
साथ देश के खड़ा रहोॅ तेॅ,
कोरोना ई राक्षस हारतै,
रात अंधार ई बीती जैतै।
मतुर सब्भें ई नाय भुलिहोॅ,
बहुत बड़ोॅ दायित्व जे ऐल्होॅ,
धरा गगन के स्वस्थ रखै लेॅ,
कुछ सुविधा बलिदान भी करिहोॅ।
कहै जटाधर फेरु कोय राक्षस
धरती के वीरान करे नाय
मानव के संहार करे नाय,
सौंसे दुनिया क़ैद करे नाय
सौंसे दुनिया क़ैद करे नाय।