बोलें तो बिलाएँ हवाओं में
लिखने से होंगे बदरंग
फुदकते आएँ अचानक वे
टंग जाएँ फुनगी पर
चहकें ललमुनियाँ के संग
चटख़ सुआपंखी
लहराएँ लहरों में
आएँ निरक्षर वे
हाँ, इस कठिन बेहूदा तरक़्क़ी के ज़माने में भी!
बोलें तो बिलाएँ हवाओं में
लिखने से होंगे बदरंग
फुदकते आएँ अचानक वे
टंग जाएँ फुनगी पर
चहकें ललमुनियाँ के संग
चटख़ सुआपंखी
लहराएँ लहरों में
आएँ निरक्षर वे
हाँ, इस कठिन बेहूदा तरक़्क़ी के ज़माने में भी!