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ढेर काबिल / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

मूय टेढ़ो करी साथ चलभो कनाँ
जॉव गिरभो कभी होश करभो कनाँ

धोन किनको भला साथ रहलै सदा
रोब किनको यहाँ हाथ रहलै सदा
आय ताकत भले, काल बचभो कनाँ
जॉव गिरभो कभी होश करभो कनाँ

ढेर काबिल बनी बात गढ़तें रहो
दोष माथा धरी चाल चलतें रहो
दाँव उल्टा पड़ौं कोर धरभो कनाँ
जॉव गिरभो कभी होश करभो कनाँ

छै यहाँ के सगा आय चिन्है कहाँ
साथ बैठी सब्भैं भात रिन्है कहाँ
मोन मोटो करी, प्रेम भरभों कनाँ
जॉव गिरभो कभी होश करभो कनाँ