तन्द्रित तरुतल, छाया शीतल,
स्वप्निल मर्मर!
हो साधारण खाद्य उपकरण,
सुरा पात्र भर!
गाओ जो तुम प्रेयसि निरुपम,
गीत मनोहर,
फिर यह निर्जन स्वर्ग सदन सम
हो चिर सुखकर!
तन्द्रित तरुतल, छाया शीतल,
स्वप्निल मर्मर!
हो साधारण खाद्य उपकरण,
सुरा पात्र भर!
गाओ जो तुम प्रेयसि निरुपम,
गीत मनोहर,
फिर यह निर्जन स्वर्ग सदन सम
हो चिर सुखकर!