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तकैत हंस समुदाय / नारायण झा

अछि कोइली
कोइला सन कारी खटखट
स्वर हुनक छनि
ओतबे मनमोहक
अछि अनघोल एखन सभतरि
कान पाथि कतबो अँखियासब
सुनैक अभ्यास लागि गेल अछि
कौआक काँउ-काँउ
कौआक झाँउ-झाँउ।

अछि कोइली मुँह बिदका बैसल
कौआ सभतरि एखन अछि पैसल
टुक-टुक तकैत हंसक समुदाय
बाट निहारैत, आँखि पसारि
हिनका पर कोनो ने राय-दोहाय
माझ ठाम अछि उल्लू पग-पग
दिन-राति हुनके जयकारा
गेयानी चिड़ै सभ अपन पाँखि समेटि
खोप मे छथि चुप्पे दुबकल
निरतागति भ' रहलै आब चीलो-बाज
बगड़ा-मेना दुबकि डारि त'र
फबकीक क' रहलै विचार
जखने फबकी सुतरि जाइत छैक
लूझि मेटाबय पेटक आगि
नहि त ओ कहैत छैक
हमहुँ करैत छी शाकाहार।