Last modified on 31 अक्टूबर 2022, at 15:54

तजुर्बात-ओ-हवादिस / कात्यायनी

चीज़ों को बहुत करीने और सलीके से
व्यवस्थित किया I
पर याद नहीं रहा कि
कौन सी चीज़ कहाँ रखी है I
नतीजतन, जैसे ही कोई चीज़
ढूँढ़नी पड़ी,
सबकुछ पहले से भी अधिक
अव्यवस्थित हो गया I
विचारों के साथ भी ऐसी दुर्घटनाएँ
कई बार हो ही जाया करती हैं I

0


बहुत सारी पुरानी चीज़ें निकालीं
और दरवाज़े पर उनकी ढेरी लगाई
कबाड़ी को बेचने के लिए I
फिर सोचा, इनमें शायद
कुछ ऐसी भी चीज़ें हों
जिनकी कभी ज़रूरत पड़ जाए I
ढेरी को उलटा-पलटा कुछ देर
और ज़्यादातर चीज़ों को
वापस रख लिया I
स्मृतियों के साथ भी
कई बार ऐसा ही होता है I

0

घण्टों परेशान होकर
कुछ ढूँढ़ती रही
इतना तल्लीन होकर कि
भूल ही गई कि
क्या ढूँढ़ रही थी I
कई बार देखे गए सपने
इसी तरह भूल जाते हैं
और लाख याद करने पर भी
याद नहीं आते I
बस, इतना याद आता है कि
कोई आत्मीय सा सपना देखा था I

0

बक्से से कोई बरसों पुरानी
डायरी मिलती है
बेहद भावुकतापूर्ण और मूर्खतापूर्ण
इन्दराजों से भरी हुई और
आश्चर्य होता है कि कभी मैं
इतनी मूर्ख हुआ करती थी I
हर कुछ वर्षों बाद
आपको लगता है कि
कुछ वर्षों पहले तक
आप कितने मूर्ख हुआ करते थे I
प्यार के बारे में भी
कई बार ऐसा ही होता है I

0

बचपन की बहुत सारी चीज़ें
उस पुश्तैनी घर के अन्धेरे में
बहुत दिनों तक रखी रहीं
जहाँ बचपन के दिन बीते I
नौजवानी में बदलते रहे ठिकाने I
नौजवानी कहीं भी
अपनी स्मृतियाँ नहीं छोड़ती I
ज़्यादातर चीज़ें साथ लिए चलती है
और जिन्हें छोड़ देती है
उन्हें भुला देती है
हमेशा के लिए I

0

जिन यात्राओं की लम्बे समय से
योजना बनाती रही
उन यात्राओं पर निकलना
न हो सका I
अप्रत्याशित
अपरिचित प्रदेशों की
यात्राओं पर अक्सर
जाना होता रहा I
ज़िन्दगी अगर लीक से
बँधी न हो
तो ऐसा होता ही है I

0

और ऐसा भी होता है कई बार
ज़िन्दगी के साथ कि
कुछ और खोजते हुए
कुछ और मिल जाया करता है I
00