Last modified on 30 जून 2007, at 12:54

तटस्थ के प्रति / गोरख पाण्डेय


चैन की बाँसुरी बजाइये आप

शहर जलता है और गाइये आप

हैं तटस्थ या कि आप नीरो हैं

असली सूरत ज़रा दिखाइये आप


(रचनाकाल :1978)