छम-छम छमक , छमक छम पग धरे;
हरे उर-शूल को समूल दृग-तीर से ।
भूषण-वसन मन-प्राण,भूख-प्यास हरें ,
चीर-चीर देती धीर चीर के समीर से ।
वचन अशन सम ,जीवन पीयूषपूर्ण;
अधर मधुर रसपूर जनु खीर से ।
हेर-हेर हँसती तो ढेर-ढेर फूल झरे,
तन्वी सुगंध ढरे सुतनु उसीर से ।