फ़ोनबुक के नम्बर
235
बस इतने ही?
किससे बात करुँगी?
किसी से भी नहीं
पेप्टॉक, हौंसले की बातें
झूठे आय लव यू
नहीं चाहिए
मेरे साथ बैठ के
कोई गिन दे
ये नींद की गोलियाँ
उन तमाम दिनों की
जब मैं लड़ी और हारी नहीं
उन तमाम दुर्घटनाओं की
गवाह हैं ये
जिन में मैं मर गयी, बची नहीं
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