कहाँ छुपा दी है रात तूने कहाँ छुपायें है तूने अपने गुलाबी हाथों के ठंडे फाये कहाँ हैं तेरे लबों के चेहरे कहाँ है तू आज-तू कहाँ है? ये मेरे बिस्तर पे कैसा सन्नाटा सो रहा है?