तन्हा तन्हा रहते हो
क्या ख़ुद से ही मिलते हो
तुम भी अब चुपके-चुपके
नाम किसी का लेते हो
कह भी दो जो कहना है
इतना किससे डरते हो
अब सबको मालूम हुआ
दम तुम किसका भरते हो
मैंने सुना है तुम अक़्सर
अपने आप से लड़ते हो
तुम भी ऐ ‘इरशाद’ सुनो
जिक्र ये किसका करते हो