सिकी हुई रेत में
खड़ा है
हरियल सपने लेता
खेजड़े का तपस्वी रूंख ।
बरसे अगर एक बूंद
तो निकाल दे
ढेर होते ढोरों के लिए
दो-चार पानड़े
और टोर दे थार में
जीवन के दो-चार पांवड़े ।
सिकी हुई रेत में
खड़ा है
हरियल सपने लेता
खेजड़े का तपस्वी रूंख ।
बरसे अगर एक बूंद
तो निकाल दे
ढेर होते ढोरों के लिए
दो-चार पानड़े
और टोर दे थार में
जीवन के दो-चार पांवड़े ।