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तबाही / आरती मिश्रा

वे
अलग अलग आवाज़ों में
कुछ कहे जा रहे थे

आवाज़ें
बस, शोर पैदा कर रही थीं
कुछ अस्फुट से शब्द
आधे-अधूरे अर्थों के साथ

किसी चट्टान से टकराते हुए
मेरे कानों तक पहुँचते
बादल