वे
अलग अलग आवाज़ों में
कुछ कहे जा रहे थे
आवाज़ें
बस, शोर पैदा कर रही थीं
कुछ अस्फुट से शब्द
आधे-अधूरे अर्थों के साथ
किसी चट्टान से टकराते हुए
मेरे कानों तक पहुँचते
बादल
वे
अलग अलग आवाज़ों में
कुछ कहे जा रहे थे
आवाज़ें
बस, शोर पैदा कर रही थीं
कुछ अस्फुट से शब्द
आधे-अधूरे अर्थों के साथ
किसी चट्टान से टकराते हुए
मेरे कानों तक पहुँचते
बादल