झपटा-झपटी अफसरशाही
लपटी पुलिस तबाही
चिड़िया-चुनमुन मौन आराधै
खोजै रोज गबाही।
ऊपरे-ऊपरे चील झपट्टा
मारै रोज डेगाही।
बलजोरी ई जन्नें-तन्नें
भागै रोज कढ़ाही।
भितरे-भीतर जाल बिछावै
की नै करै शेफखाही
कन्नें केकरा के लै जैतै
लिखतै केना सियाही।
‘रानीपुरी’ धरा ललकारै
आय मिटावऽ खाही
रहै नै भेद लगै नै फसरी
लुटै नै राही-राही