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तबाही / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

झपटा-झपटी अफसरशाही
लपटी पुलिस तबाही
चिड़िया-चुनमुन मौन आराधै
खोजै रोज गबाही।

ऊपरे-ऊपरे चील झपट्टा
मारै रोज डेगाही।
बलजोरी ई जन्नें-तन्नें
भागै रोज कढ़ाही।

भितरे-भीतर जाल बिछावै
की नै करै शेफखाही
कन्नें केकरा के लै जैतै
लिखतै केना सियाही।

‘रानीपुरी’ धरा ललकारै
आय मिटावऽ खाही
रहै नै भेद लगै नै फसरी
लुटै नै राही-राही