तबेॅ हम्में जानलियै,
की छेकै हमरोॅ जात?
माय-कोखी में भाय जकां
एक्के रं पल्लोॅ रिहै
जबेॅ धरती पेॅ ऐलाँ
सब्भैं पूछककै -
की छेकैं हमरोॅ जात?
लड़का छेकाँ?
आकि लड़की?
जबेॅ नर्सें कहलकै -
लड़की।
सबके चेहरा उतरलै
आरो तबेॅ हम्में जानलाँ,
की छेकै हमरोॅ जात?
सुपती-मौनी खेलै छेलियै,
माय-गोदी में पलै छेलियै।
जबेॅ होश संभाललाँ
तबेॅ देखलाँ-
भाय-बहनी के पलनौं में अन्तर।
तबेॅ हम्में जानलाँ,
की छेकै हमरोॅ जात?
जबेॅ इस्कूलोॅ में पढ़वोंॅ शुरू करलाँ;
‘तुम लड़की हो, चुप रहो!’
गुरु जीं कहले छेलै डपटी केॅ
तबेॅ हम्में जानलियै
की छेकै हमरोॅ जात?
निडर, निर्भय रहै छैलाँ,
कॉलेज में गेलाँ;
लड़का छेड़लकै -
‘की सुन्दर छै!
चीज इ काम के छेकै’
तबेॅ हम्में जानलाँ,
की छेकै हमरोॅ जात?
बड़ी होलाँ
कुछ सहमी-सहमी,
सिकुड़ी-सकुचैली।
लड़का बाला देखै लेॅ ऐलै
जेना कोय बडोॅ व्यापारी
बैल खरीदेॅ आबेॅ
आँख, कान, नाक, गोड़
छूवी-छूवी देखलकै।
तैइयो हम्में चुप रहलाँ।
बाबू जीं पूछलकै -
लड़की पसन्द छौं?
हमरी बेटी पढ़ली-लिखली छेॅ,
पेंटिंग करै लेॅ जानै छै,
गानौ-बजानौ
खाना पकैवोॅ आरो सिलाय-फोड़ाय
सब्भे गुणोॅ में
निपुण छेॅ हमरोॅ बेटी।
-है सब कोय बात भेलै?
बात करोॅ-की देवा?
कत्तेॅ देवा?
हौ दिन हम्में जानलाँ,
की छेकै हमरोॅ जात?
जबेॅ बीहा होलोॅ,
लोगें बतैलकै -
पत्नीव्रत, नारी जीवन के मूल मंत्र
पति, सास आरनी केॅ खुश रखबोॅ
धर्म कहलकै।
पति के जूता में पालिश लगावै छी
सास-ननद के तेवर सहै छी।
तहियो पति हमरै पर बिगडै छै
जेना ऑफिसर चपरासी पर।
मोॅन अकबकाय छॅ इ जानी केॅ -
की छेकै हमरोॅ जात?