मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तब जवाब राजा दैने
कोरा कागज पर छल लगेबौ
हाथ से छाप फुलवंती लेबौ
पैर से छाप कोरा कागज दऽ दे
जतेक समान हमर चोरी भऽ गेल
जे कोई चोर मोट हाजिर करतै
तखनी बान्ह हम खोलि जे देबौ
तखनी बान्ह हम चोरबा के खोलबै गै।।
एत्तेक बात जखनी राजा कहलकै
राजा लगमे कबूला करै छै
रानी फुलवंती सकार जे केलकै
कोरा कागज राजा मंगबै छै
हाथ से छाप फुलवंती दै छै
पैर से छाप फुलवंती दै छै
चोर मोट के कबूल करै छै
सुनऽ सुनऽ हौ बाबू सुनिलय
सात दिन के हफ्ता मंगै छी
जइ दिन सतबाँ रोज जे पुरतऽ
चोर-मोट बाबू हाजिर हम कऽ देबऽ हौ।।