Last modified on 3 जून 2013, at 13:04

तरंग / हंसराज

बीच जल-तरंगमे झिलहरि खेलाइत
तीनटा कुमारि नव यौवना
करूआरि ल’ नाओ खेबबाक निमित्त
झगड़ा करैत, एके बैर गंगामे कूदि गेलीह !
खाली डगमग करैत नाओ
भसिआएल जा रहल अछि
आ, ठेहुन भरि नाओक पानिमें
डूबल अछि करूआरि।

ललाओन खरखर पाथरक सोपान पर बैसल हम
देखि रहल छी घोर-मट्ठा हिलकोरसँ होइत एकाकार
नीरव, नील नभमे उठल अछि बड़ी जोर बिहाड़ि।