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तरकारी संग्राम / मुन्ना पाण्डेय 'बनारसी'

गाजर, मूली, लौकियाँ, पटर, मटर, औ प्याज।
आपस में लड़ने लगी, मैं सब्जी सरताज॥
मैं सब्जी सरताज, गरज कर बोला बैगन।
मेरे सिर पर ताज, करो मेरा अभिनन्दन।
कह मुन्ना कविराय, ताव में आया आलू।
लेकर मेरा नाम, प्रसिद्धी पाये लालू॥

2

गोभी अपनी हाँकती, तुरिया देती तर्क।
कहे टमाटर आ गया, कलयुग लेकर नर्क।
कलयुग लेकर नर्क, तभी पालक चिल्लाई।
कुम्हड़ा काया नन्द, देह की करे बड़ाई।
कह मुन्ना कविराय, दहाड़ी मिर्ची रानी।
मैं ही सबसे श्रेष्ठ, पिला दूँ सबको पानी॥

3

कुटिल करैले ने दिया, झट्ट मूंछो पर ताव।
कटहल भी कहने लगा, सभी दूर हट जाव॥
सभी दूर हट जाव, गरज कर उठा चिचिंढा।
देखो मेरी देह, बाँस का जैसे डंडा।
कह मुन्ना कवि तभी, सेम से भिंडी बोली।
मौसी भागो यहाँ, चलेगी निश्चित गोली॥