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तरक्की / शैलजा पाठक

मुझे तरक्की का
प्रलोभन देकर
अपने गरिमामय ओहदे से
मुझे अपनी कुत्सित सोच
से
कितनी ईमानदारी से
वाकिफ कराते हो
मुझे तरक्की देने वाले
मेरी नजर में
तुम कितना नीचे गिर जाते हो...
क्या अपनी नजर में भी?