झरने के पास
जुगाली करती
सुनती है
भेड़
आँसू अलग़ोज़े के
तराई में, बुलन्दी से पहले होती है
शाम
झरने के पास
जुगाली करती
सुनती है
भेड़
आँसू अलग़ोज़े के
तराई में, बुलन्दी से पहले होती है
शाम