सूतो है सबद
गैरी नींद मांय
जोवतो हुसी कोई सुपनो
म्हैं क्यूं दखल देवूं
आपै ई जागसी
मेघवाळ मुकनो!
(कथाकार भाई रामेश्वर गोदारा रै किरदार 'मुकनै मेघवाळ' नैं समरपित)
सूतो है सबद
गैरी नींद मांय
जोवतो हुसी कोई सुपनो
म्हैं क्यूं दखल देवूं
आपै ई जागसी
मेघवाळ मुकनो!
(कथाकार भाई रामेश्वर गोदारा रै किरदार 'मुकनै मेघवाळ' नैं समरपित)