Last modified on 23 मई 2016, at 00:23

तलाश / उमा शंकर सिंह परमार

तुम असीम त्याग
मैं असीम भोग
हम दोनों के बीच
अन्तिम साँसे ले रहा हमारा प्रेम
 
“मध्यम” हो जाने की
सुरक्षित गली तलाश रहा है

महात्मा बुद्ध से लेकर वात्सायन तक
तय की गई प्रक्रियाओं में
एक पैराग्राफ तलाश रहा है

चूल्हे में धिक् रही जवान आग
में तपकर
बर्फ़ीली हवाओं की छुवन तलाश रहा है